‘कितना भी पुराना हो ल्‍यूकोरिया, होम्‍योपैथी में है सटीक इलाज’

‘कितना भी पुराना हो ल्‍यूकोरिया, होम्‍योपैथी में है सटीक इलाज’

ल्‍यूकोरिया या श्‍वेत प्रदर भारतीय महिलाओं की एक बड़ी बीमारी है। इस बीमारी में महिलाओं के जननांग से सफेद पदार्थ का स्राव होता रहता है और इसके कारण कमर दर्द तथा अन्‍य समस्‍याएं भी होती हैं। कई महिलाओं में यह बीमारी सालों पुरानी हो जाती है और महिलाएं जननांग से जुड़ी समस्‍या होने के कारण किसी के सामने इसका जिक्र तक नहीं करतीं।

एलोपैथी चिकित्‍सक जहां यह दावा करते हैं कि इस समस्‍या का इलाज सिर्फ उनके पास ही है वहीं वरिष्‍ठ होम्‍योपैथ डॉक्‍टर बलबीर कसाना कहते हैं कि दरअसल एलोपैथी में इस बीमारी के सिर्फ लक्षणों का इलाज होता है।

उनका कहना है कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि श्‍वेत प्रदर होता क्‍यों है। यह जननांग में किसी भी तरह के संक्रमण, हार्मोन के असंतुलन, उचित साफ-सफाई न होने और कई दूसरी वजहों से हो सकता है। ये बात सही है कि एलोपैथी में संक्रमण को तत्‍काल ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दे दिया जाता है मगर बीमारी जड़ से खत्‍म नहीं होती।

कुछ दिनों के बाद बीमारी फ‍िर हो जाती है। दूसरी ओर होम्‍योपैथी में सारे लक्षण देखकर इलाज शुरू किया जाता है। मरीज की बीमारी की हिस्‍ट्री देखी जाती है और उसके अनुसार इलाज किया जाता है। कई मरीजों में दो महीने तो पुराने मरीजों में छह महीने में यह बीमारी जड़ से समाप्‍त हो जाती है।

होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्‍टर मीनू भार्गव भी डॉक्‍टर कसाना से सहमत हैं। उनके अनुसार ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली सामान्य बीमारी है। यह कहना कि एलोपैथी के अलावा अन्य विधियों में ल्यूकोरिया का इलाज नहीं है सही नहीं है। हकीकत यह है कि होम्योपैथी में इसका बढ़िया इलाज उपलब्ध है।

उनके अनुसार बेहतर देखभाल के तहत मरीजों को हरी सब्जियों और दुग्ध उत्पादों की प्रचूरता वाला भोजन लेना चाहिए। स्वच्छ हवा में टहलना या हलका व्यायाम करना चाहिए। हर बार मूत्रत्याग के बाद गुप्तांग को धोकर साफ करना चाहिए और कपड़े से सुखाना चाहिए। साथ ही कब्ज की शिकायत को गंभीरता से लेना चाहिए।

ल्यूकोरिया का इलाज शुरू करने से पहले मरीज के लिए यह सब उपाय करना आवश्यक है। इलाज के लिए होम्योपैथी चिकित्सक मुख्यतः सेपिया, पल्सेटिला, एलुमिना, बोरम आदि दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।

इसके अलावा भी कई दवाइयां इस बीमारी में इस्तेमाल होती है मगर यह ध्यान रहे कि सभी दवाइयों का इस्तेमाल होम्योपैथी फीजिशियन की देख-देख में ही किया जाना चाहिए। उपरोक्त सभी दवाइयां ल्यूकोरिया की अलग-अलग परिस्थितियों में लाभकारी होती हैं ओर उन परिस्थितियों की बेहतर जानकारी डॉक्टर को ही होती है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।